ख़्वाब और हक़ीक़त
ज़िंदगी में सारे ख़्वाब कभी पूरे नहीं होते,
जो ख़्वाब रह गए, वो भी कभी बुरे नहीं होते;
कुछ खोना और कुछ पाना तो लगा रहेगा,
पर कोशिश के रंग कभी अधूरे नहीं होते;
ज़िंदगी की मुस्कुराहटों से रूबरू हो नहीं पाते,
अगर ग़मों की गलियों से कभी गुज़रे नहीं होते;
समझ जाता मैं इन सब बातों को अगर,
हक़ीक़त से टकराकर ख़्वाब बिखरे नहीं होते।
Written by : Manish Basistha
Narrated by: Taqi