हजरत बु अली शाह कलंदर की दरगाह पानीपत , जहां तालों में कैद हैं मन्नते Tomb of ghostly Padlocks

Опубликовано: 21 Июнь 2025
на канале: NOORANI KHABAREN
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हजरत बु अली शाह कलंदर की दरगाह, जहां तालों में कैद हैं मन्नतें || पानीपत की ताले वाली दरगाह

जी हाँ हम बात कर रहे हैं एक ऐसी दरगाह की जो दिल्ली से तकरीबन ९० किलोमीटर दूर पानीपत हरियाणा में िस्थित जिसे
हजरत बु अली शाह कलंदर की दरगाह के नाम से जानते है जहाँ तालों में कैद होती है मन्नते।
गालिब ने अपनी इस शायरी में ताले के खुलने को जुदा होने से जोड़ा है, लेकिन ताला खुलने का मतलब मुरादवाले का मुराद से मिलाप होना है।
पानीपत में एक ऐसी दरगाह स्थित है जहां ताले लगाकर मन्नत मांगी जाती हैं। यह दरगाह 700 साल पुरानी है। भारत, पाकिस्तान व अन्य क्षेत्रों में हजरत बू अली शाह कलंदर की 1200 के करीब दरगाह हैं। पानीपत की मुख्य दरगाह ही ऐसी हैं, जहां मन्नत के ताले लगाए जाते हैं। इस दरगाह को अला-उद्-दीन खिलजी के बेटों, खिजिर खान और शादी खान ने बनवाया था।
1190 ई. में पैदा हुए कलंदर शाह
कलंदर शाह का असली नाम शेख शरफुद्दीन था। उनके पिता शेख फख़रुद्दीन अपने समय के एक बहुत बड़े आलिम थे। कलंदर शाह 1190 ई. में पैदा हुए और 122 साल की उम्र में 1312 ई. में पर्दा कर गए थे । कलंदर शाह के जीवन के शुरुआत के 20 साल दिल्ली में कुतुबमीनार के पास हज़रात ख्वाज़जा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के यहाँ गुजरे। उसके बाद वे पानीपत आ गए। कुछ लोगों का कहना है कि वे इराक से आए थे और पानीपत में बस गए। उनके नाम के साथ कलंदर जोड़ दिया गया जिसका अर्थ है- वह व्यक्ति जो दिव्य आनंद में इतनी गहराई तक डूब चुका है कि अपनी सांसारिक संपत्ति और यहां तक कि अपनी मौजूदगी के बारे में भी परवाह नहीं करता। उन्होंने पारसी काव्य संग्रह भी लिखा था जिसका नाम दीवान ए हजरत शरफुद्दीन बु अली शाह कलंदर है।
मन्नत मांगने वाले लगाते हैं ताला – कलंदर शाह की दरगाह पर बड़ी संख्या में लोग मन्नत मांगने आते हैं। मन्नत मांगने वाले लोग दरगाह के बगल में एक ताला लगा जाते हैं। कई बार इस ताले के साथ लोग खत लिख कर भी अपनी मुरदे मांगते हैं। दरगाह के बगल में हजारों ताले लगे देखे जा सकते हैं। वैसे कलंदर शाह की दरगाह पर हर रोज श्रद्धालु उमड़ते हैं। पर हर गुरुवार को दरगाह पर अकीदतमंदों की भारी भीड़ उमड़ती है।
कलंदर शाह का यह मकबरा पानीपत में कलंदर चौक पर स्थित है जो उसी के नाम पर है। इस मकबरे के मेन गेट के दाहिनी तरफ प्रसिद्ध उर्दू शायर ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली पानीपती की कब्र भी है। सभी समुदायों के लोग हर गुरुवार को प्रार्थना करने और आशीर्वाद लेने के लिए यहां आते हैं।

जो भी इस दरगाह पे आया कभी खाली हाथ वापस नहीं लौटा फिर चाहे वो किसी भी धर्म का ही क्यों ना हो।
चलिए तो फिर आज हम बात करते हैं यहीं के कुछ स्थानीय लोगों से और जानते हैं