Silent Killers in Diwali | The Truth about Air & Noise Pollution @ishan_sahal
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Hello Doston! Main hu Ishan Sahal - Aapka Unstoppable Dost!"
हर साल जब दीवाली का त्यौहार आता है, हम सभी खुशियों और रोशनी के बीच, जश्न मनाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि, दीवाली के इस जश्न के साथ, एक गंभीर समस्या भी आती है—Air और Sound प्रदूषण। खासकर बड़े शहरों में, जैसे दिल्ली, मुंबई, और कोलकाता, दीवाली के बाद के कुछ दिन, लोगों के लिए बेहद खतरनाक साबित होते हैं। आज हम बात करेंगे, कि कैसे ये Pollution hamaari health पर असर डालता है, पिछले सालों में हमने इसके क्या परिणाम देखे हैं, और 2024 में हम इसे कैसे बेहतर बना सकते हैं
क्या आपको याद है, 2016 की दीवाली के बाद, दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स yaani ki AQI, 1000 के पार चला गया था? ऐसा कहा गया, कि उस समय दिल्ली का प्रदूषण, सांस लेना मुश्किल बना रहा था। इसी तरह 2018 में भी, दिल्ली और NCR क्षेत्र में, प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया था, जिसके कारण बच्चों और बुजुर्गों में, सांस की बीमारियां और ज्यादा बढ़ गई थीं।
दिल्ली, मुंबई, लखनऊ जैसे शहरों में, दीवाली के बाद का प्रदूषण इतना बढ़ जाता है कि PM 2.5 और PM 10 कणों की मात्रा, हवा में कई गुना बढ़ जाती है। ये वो बारीक कण होते हैं, जो फेफड़ों में जाकर सीधा असर करते हैं।
2019 में **CPCB yaani सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ** की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में दीवाली के अगले दिन PM 2.5 का स्तर, 999 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया था, जबकि सुरक्षित स्तर, 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है। इसका मतलब है कि, हम दीवाली के बाद कितनी खतरनाक हवा में सांस ले रहे होते हैं।
Air Pollution न sirf सांस की समस्याओं का कारण बनता है, बल्कि दिल की बीमारियों, स्ट्रोक, और कैंसर का खतरा भी बढ़ा देता है। 2020 में आई *Lancet Commission* की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में Air Pollution के कारण ,1.67 मिलियन लोगों की मौत हुई थी।
आइए एक और example पर गौर करें। 2017 में, दिल्ली में दीवाली के बाद, *AIIMS* के अस्पतालों में, सांस की तकलीफ के मरीजों की संख्या 30% तक बढ़ गई थी। वहीं, छोटे बच्चों और बुजुर्गों में अस्थमा के दौरे, ब्लड प्रेशर की समस्याएं, और दिल की बीमारियों के मामले तेजी से बढ़े थे। इसके अलावा, पटाखों की तेज आवाज़ से मानसिक तनाव, नींद न आना, और यहां तक कि सुनने की समस्याएं भी सामने आईं।
Sound Pollution भी एक बड़ी समस्या है। दीवाली के समय, पटाखों से nikalne waala sound pollution, 150-160 डेसिबल तक पहुंच जाता है, जबकि सुरक्षित स्तर 75 डेसिबल से कम होना चाहिए।
आपको ये जानकर हैरानी होगी, कि 2021 में *कोलकाता* में पटाखों की आवाज़ के कारण, कई लोगों ने तेज़ सिरदर्द, कानों में दर्द और नींद naa aane ki शिकायत की थी। Sound Pollution से खासकर बुजुर्ग और बच्चों में, मानसिक तनाव बढ़ता है, और कई बार दिल की धड़कनें, तेज हो जाती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए, खतरनाक हो सकता है।
2018 की दीवाली के बाद, जब दिल्ली में AQI इतना ज्यादा बढ़ गया था, कि उसे 'गैस चैंबर' कहा जाने लगा था। आप सोचिए, उस साल लाखों लोग अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों की बीमारियों से जूझ रहे थे। स्कूलों को बंद करना पड़ा था, और अस्पतालों में सांस की बीमारियों के मरीजों की संख्या, कई गुना बढ़ गई थी।
इसी तरह, *मोरीगांव, असम* में 2020 की दीवाली के बाद, कई लोग Sound Pollution से प्रभावित हुए। वहां पटाखों की तेज़ आवाज़ से, मानसिक तनाव और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं बढ़ गई थीं।
अब बात आती है कि 2024 में, हम इस समस्या से कैसे निपट सकते हैं? क्या हम दीवाली को , एक जिम्मेदार तरीके से मना सकते हैं, जिससे पर्यावरण को, नुकसान न पहुंचे, और हमारी सेहत भी बनी रहे? जी हां, बिलकुल मना सकते हैं।
ईको-फ्रेंडली पटाखों का इस्तेमाल करें:*
आजकल बाजार में, *ग्रीन क्रैकर्स* मिलते हैं, जो कम धुआं, और कम आवाज़ करते हैं। ये पटाखे पर्यावरण के लिए, कम हानिकारक होते हैं, और प्रदूषण को काफी हद तक, कम करते हैं। इसलिए अगर आप पटाखे जलाना चाहते हैं, तो ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल करें।
डिजिटल या वर्चुअल दीवाली मनाएं:*
2020 की महामारी के बाद, हमें डिजिटल प्लेटफार्म्स की ताकत का पता चला है। आप भी अपनी दीवाली को; डिजिटल बना सकते हैं। अपने रिश्तेदारों, और दोस्तों के साथ, वर्चुअल कनेक्शन के जरिए, दीवाली मनाएं, जिससे पटाखों का इस्तेमाल, कम हो और प्रदूषण भी न फैले।
*दीयों और मोमबत्तियों से ghar सजाएं **
Puraane dino से ही दीवाली का मतलब होता था, घर को दीयों और रोशनी से सजाना। दीयों और मोमबत्तियों से, न सिर्फ आपका घर सुंदर लगेगा, बल्कि ये प्रदूषण भी नहीं फैलाएंगे। आप LED लाइट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो बिजली की भी कम खपत करती हैं और प्रदूषण भी नहीं फैलातीं।
*पेड़ लगाएं और प्रकृति को बचाएं:*
इस दीवाली, अपने आस-पास के क्षेत्र में पेड़ लगाने का plan bnaao. एक पेड़ न sirf environment को शुद्ध करता है, बल्कि Air Quality में भी सुधार लाता है। कई NGO इस तरह की पहल करते हैं, आप भी इसमें हिस्सा ले सकते हैं।
शोर-शराबे से बचें:**
अगर आप पटाखे जलाना चाहते हैं, तो कोशिश करें कि आवाज़ करने वाले पटाखों का इस्तेमाल न करें। ज्यादा आवाज़ वाले पटाखे न केवल ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं, बल्कि आपके स्वास्थ्य और आपके आस-पास के लोगों के लिए, खतरनाक साबित हो सकते हैं।
*ग्रीन दीवाली, क्लीन दीवाली का संदेश फैलाएं:*
हमारे पास सोशल मीडिया का बहुत बड़ा ताकतवर टूल है। आप अपने दोस्तों और परिवार को सोशल मीडिया के जरिए ग्रीन दीवाली मनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। जितने ज्यादा लोग इस संदेश को फैलाएंगे, उतना ही असरदार hoga.
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